बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 4
सामुदायिक विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा
(Home Science Extension Education in Community Development)
प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
उत्तर -
(Meaning of the Home Science Extension Education)
गृह विज्ञान की शिक्षा केवल छात्र एवं छात्राओं के लिए ही आवश्यक नहीं वरन् प्रत्येक गृहिणी को सुखद एवं स्वस्थ पारिवारिक जीवन व्यतीत करने के उद्देश्य से इस विषय की शिक्षा अनिवार्य है। यह सर्वविदित ही है कि भारत एक निर्धन देश है तथा यहाँ 62-63% व्यक्ति निरक्षर हैं। निरक्षरता की स्थिति ग्रामीणों में, विशेषकर महिलाओं में, और भी अधिक गम्भीर है। ऐसी स्थिति में महिलाओं को सस्ते भोज्य पदार्थों का प्रयोग कर परिवार के लिए पोषण की दृष्टि से सन्तुलित आहार की व्यवस्था करना, बच्चों का पालन-पोषण उचित ढंग से करना, पारिवारिक वातावरण को शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से आरोग्यवर्धक एवं सुसज्जित बनाना, आकस्मिक दुर्घटनाओं की स्थिति में प्राथमिक चिकित्सा करना, घर में सिलाई बुनाई आदि को सम्पन्न करने की जानकारी एवं कुशलता की शिक्षा की नितान्त आवश्यकता है। प्रौढ़ महिलाएँ इस उपयोगी शिक्षा को विद्यालय में जाकर प्राप्त नहीं कर सकतीं उन्हें तो इस प्रकार की शिक्षा कार्यकर्त्ता के माध्यम से ही दी जा सकती है जो उन्हें अच्छे गृह व्यवस्थापन के तरीके, वैज्ञानिक तरीकों से बच्चों के पालन-पोषण के परिणाम के प्रति सजगता आदि के बारे में जानकारी दे सकता है।
वास्तव में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा वह शिक्षा है जो लोगों को शिक्षित कर उनके दैनिक जीवन में उस शिक्षा को उपयोगी बनाने के लिए प्रेरित करती है। इस प्रकार प्रसार शिक्षा लोगों को परिवर्तित करने की दिशा में प्रेरित करने का माध्यम है किन्तु यह परिवर्तन सही दिशा में होना चाहिए और यह स्वतः प्रेरणा प्राप्त होना भी आवश्यक है। बलपूर्वक किया गया कोई परिवर्तन स्थायी नहीं होता अतः जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। तकनीकी तथा सामाजिक विज्ञान द्वारा ग्रामीणों को स्वयं अपनी सहायता करने योग्य बनाना ही प्रसार शिक्षा का उद्देश्य है। इसी उद्देश्य को जब गृह विज्ञान क्षेत्र से सम्बद्ध कर दिया जाता है तो वह गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा कहलाता है। ग्रामीण महिलाओं तथा बालिकाओं को जो गृह-प्रबन्ध और खेती-बाड़ी से जुड़ी होती हैं, गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा द्वारा शिक्षित एवं प्रेरित किया जाता है जिससे वे अपने समाज में आवश्यक सुधार करके विकास की दिशा में अग्रसर हो सकें।
अतः गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का अर्थ है - गृह विज्ञान विषय सम्बन्धी ज्ञान को शिक्षण संस्थाओं की परिधि से बाहर निकालकर उन ग्रामीण बालिकाओं तथा महिलाओं के मध्य ले जाना जो कभी पाठशाला अथवा स्कूल कॉलेज न गई हों अथवा जो किसी कारणवश औपचारिक शिक्षा से वंचित रह गई हों।
(Defiitions of Home Science Extension Education)
गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के अर्थ महत्व को स्पष्ट करने के लिए विभिन्न विद्वानों ने अपने अलग-अलग विचार प्रस्तुत किये हैं जो निम्नानुसार हैं -
(1) 'डे' के अनुसार, "गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा गृह विज्ञान से सम्बन्धित वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान को प्रसारित करने का माध्यम है। यह एक ऐसी पद्धति है जिसके द्वारा महत्वपूर्ण बातें उन लोगों तक पहुँचायी जाती हैं, जिन्हें अपनी क्रियाओं, उत्पादन तथा सुधार के लिए वैज्ञानिक व तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता है।"
श्री डे ने अपनी परिभाषा के माध्यम से स्पष्ट किया है कि गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक व तकनीकी ज्ञान का प्रसार करना है जिसके द्वारा वे अपनी क्रियाओं, कार्य-पद्धतियों तथा व्यवहार में सुधार कर सकें।
(2) श्रीचन्द्रा के अनुसार, "यह समाज विज्ञान का वह आयाम है जो वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान के माध्यम से घर और परिवार में कार्यात्मक और व्यवहारात्मक परिवर्तन लाता है।'
श्री चन्द्रा ने भी अपनी परिभाषा के माध्यम से यही स्पष्ट किया है कि प्रसार शिक्षा का उद्देश्य कार्य करने के तरीकों तथा व्यवहारों में परिवर्तन लाना है तथा वैज्ञानिक तथा तकनीकी ज्ञान को घर और परिवार तक पहुँचाना है।
उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है किं गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का मुख्य उद्देश्य गृह विज्ञान विषय के ज्ञान को ग्रामीणों तक पहुँचाना है जिससे वे अपने जीवन - स्तर को ऊँचा उठा सकें और बेहतर जीवन जी सकें। इसके अन्तर्गत महिलाओं को परिवार के लिए सन्तुलित भोजन का आयोजन, वस्त्रों का प्रबन्ध, शिशु-पालन, स्वास्थ्य रक्षा, गृह प्रबन्ध, टीकाकरण तथा पर्यावरणीय स्वच्छता के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।
गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र - 1986 में मृदुला सेठ ने गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के तीन मुख्य भाग बताये-
(1) प्रसार शिक्षा (Extension Education),
(2) प्रसार सेवा (Extension Service),
(3) प्रसार कार्य (Extension Work)।
(1) प्रसार शिक्षा - विद्यालय, महाविद्यालयों को शोध केन्द्र बनाकर प्रसार शिक्षा वहाँ शोध कार्य करती है। उन शोध विषयों में स्थान विशेष की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है तथा शोध के परिणामों के आधार पर स्थान विशेष पर उपलब्ध साधनों के प्रयोग द्वारा समस्याओं को सुलझाने का प्रयत्न किया जाता है। समस्याओं के हल के साथ-साथ किशोरियों जो भावी माँ गृहिणी बनेंगी तथा महिलाओं के व्यवहार सोच को बदलने का प्रयास प्रसार शिक्षा का उद्देश्य होता है।
(2) प्रसार सेवा - प्रसार सेवा वह कार्य या बन्धन है जो प्रसार शिक्षा के रिसर्च सेन्टर तथा गृहिणियों के बीच की दूरी कम करते हैं। प्रसार सेवा कार्यक्रम एक व्यक्ति नहीं कर सकता। इस प्रसार सेवा हेतु विभिन्न सरकारी और स्वैच्छिक संस्थाएँ मिलकर काम करती हैं। ये संस्थाएँ मिलकर प्रसार कार्यक्रम तैयार करती हैं तथा उनका स्थान विशेष पर क्रियान्वयन करती हैं। सरकार अपनी क्रियाओं को साकार रूप देने के लिये गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के साथ प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम भी चलाती है ताकि ग्रामीण महिलाओं को गृह विज्ञान की सैद्धान्तिक व्यावहारिक शिक्षा के साथ-साथ साक्षर भी बनाया जा सके ताकि वे आसानी से बात समझकर अपने व्यवहार सोच में इच्छा से परिवर्तन ला सकें। उनमें आया बदलाव उन पर थोपा गया न हो। प्रसार सेवा प्रसार शिक्षा को माध्यम बनाकर गृह विज्ञान द्वारा प्राप्त ज्ञान को विद्यालय पाठशाला से निकाल कर घर-घर पहुँचाना है।
(3) प्रसार कार्य - गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का तीसरा आवश्यक और महत्वपूर्ण अंग प्रसार कार्य है। परस्पर कार्य के बिना प्रसार शिक्षा अधूरी है। प्रसार कार्य से तात्पर्य 'परिवर्तन' से है। प्रसार कार्य के द्वारा ग्रामीणों के व्यवहारों, रूचियों, कार्य करने के तरीकों तथा मनोवृत्तियों में परिवर्तन लाने का प्रयास किया जाता है। इसके लिए ग्रामीणों को करके सीखने के लिए प्रेरित किया जाता है उनमें आत्मनिर्भरता की भावना का विकास किया जाता है और विचार शक्ति को विकसित किया जाता है जिससे उनका पारिवारिक जीवन सुखमय व खुशहाल हो सके।
इस प्रकार मृदुला सेठ के अनुसार गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा त्रिआयामी शिक्षा है। सर्वप्रथम यह ग्रामीणों की समस्याओं की जानकारी प्राप्त करती है फिर ग्रामीणों को उनकी समस्याओं से अवगत कराती है तत्पश्चात् उपलब्ध संसाधनों के अनुसार समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करती है तथा समस्याओं के सफल निराकरण के लिए ग्रामीणों को सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थाओं से जोड़ने का कार्य करती है।
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- प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक संगठन को परिभाषित करते हुए इसकी विभिन्न परिभाषाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की सैद्धान्तिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के दर्शन पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास प्रक्रिया के अन्तर्गत सामुदायिक विकास संगठन कितनी अवस्थाओं से गुजरता है?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन और सामुदायिक विकास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन और सामुदायिक क्रिया में अंतर बताइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के प्रशासनिक ढांचे का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास में सामुदायिक विकास संगठन की सार्थकता एवं भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइयें।
- प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के क्षेत्र, आवश्यकता एवं परिकल्पना के विषय में विस्तार से लिखिए।
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- प्रश्न- ग्रामीण क्षेत्रों में कितने प्रकार के नेतृत्व पाए जाते हैं?
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- प्रश्न- नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं को बताइए।
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- प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
- प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
- प्रश्न- विकास कार्यक्रम का अर्थ स्पष्ट करते हुए विकास कार्यक्रम के मूल्यांकन में विभिन्न भागीदारों के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विकास कार्यक्रम चक्र को विस्तृत रूप से समझाइये | इसके मूल्यांकन पर भी प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- निगरानी में बुनियादी अवधारणाएँ और तत्वों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- निगरानी के साधन और तकनीकों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्यांकन डिजाइन (मूल्यांकन कैसे करें) को समझाइये |
- प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मूल्यांकन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निगरानी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निगरानी के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निगरानी में कितने प्रकार के सूचकों का प्रयोग किया जाता है?
- प्रश्न- मूल्यांकन का अर्थ और विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- निगरानी और मूल्यांकन के बीच अंतर लिखिए।
- प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न प्रकारों को समझाइये।